Thursday, February 21, 2019

One year of Marriage

Chaha kabhi toot kr ek doosre ko,
aur kbi so gaye kr k kinaraa,
aisi rhi hamari mohabbat,
aisa tha ye ek saal hamara.
 
suruaat din ki kr k tere chehre se,
muskrakar gujarta tha din,
kahi bhool na jaaye dil dhadkna mera,
namumkin sa lagta hai ab jeena tere bin.
 
dekha jo tera hath pakad dhalta sooraj,
lga k tu kabi na mujko dhalne degi,
kitna bhi maayusi bhara ho jaye safar,
tu akele na mujko chalne degi
 
Tujme dikhta muje adhrashya sahara
aisa tha ye ek saal hamara...
 
tera aansu palko pe aane se pahle mai pee jau
dedu apna sab kuch tujko aur mai jogi tera ho jau
choti ho ya bdi zindagi bas tere sath hi jee jau,
 
Rkha khyal tune jo meri sabse badi Raza hai,
hai pariwar ek sath sara iski tu hi to vahaj hai.
Pal pal har pal tha pyaar se pyaara,
aisa tha ye ek saal hamara.
 
meri chahat teri har khwaish poora karne ki,
apne samarthya se jyada rakhunga mai khyal tumhara,
bas yuhi sath guzar jaye zindagi saari
jaisa tha ye ek saal hamara...
 
by sach

Monday, February 18, 2019

Desh k jawan ki aawaj

देनी पड़ती बिना युद्ध क हमें शाहदत
क्या यही हमारी आज़ादी है
क्या हमारी कुर्बानी से ,
नहीं दुखती तुम्हारी छाती है

अपनी ही सरहद में , अपने ही गांव में ,
अपने आशियाने में हमें मरना पड़ता है ,
हमारे अपने ही लोगो को
अपने देश में डरना पड़ता है.

खोल दो हाथ हमारे ,
अब कोई और हमला न होने देंगे
न सूनी होगी गोद किसी की
न सिन्दूर किसी का खोने देंगे

वरना एक दिन दिल्ली भी ऐसी न हो जाए
जैसे आज पुलवामा की घाटी है ,
बिना लड़े मर जाते हम ,
क्या यही हमारी आज़ादी है
क्या यही हमारी आज़ादी है .....

by Sach
#pulwama #crpfattack

Thursday, February 14, 2019

Desh k Jawaan ki aawaj

देनी पड़ती बिना युद्ध क हमें शाहदत
क्या यही हमारी आज़ादी है
क्या हमारी कुर्बानी से ,
नहीं दुखती तुम्हारी छाती है

अपनी ही सरहद में , अपने ही गांव में ,
अपने आशियाने में हमें मरना पड़ता है ,
हमारे अपने ही लोगो को
अपने देश में डरना पड़ता है.

खोल दो हाथ हमारे ,
अब कोई और हमला न होने देंगे
न सूनी होगी गोद किसी की
न सिन्दूर किसी का खोने देंगे

वरना एक दिन दिल्ली भी ऐसी न हो जाए
जैसे आज पुलवामा की घाटी है ,
बिना लड़े मर जाते हम ,
क्या यही हमारी आज़ादी है
क्या यही हमारी आज़ादी है .....

by Sach

Tuesday, February 12, 2019

गावों को मत शहर बनाओ

गावों को मत शहर बनाओ
खो दोगे सब अपनापन
गमलो में होगी हरियाली
रह जाएगा सूनापन
गावों को मत....

प्रातः काल कलरव पक्षी श्वर
नहीं मिलेंगे ढूंढें भी
याद करोगे गांव पुराण
घुट ता होगा अंतर्मन

मस्त हवा भी नहीं मिलेगी
ऐसे बदले गांव में
पंखो की कृत्रिम वायु से
जलता होगा तन और मन्न
गावो को मत ...

कोयल कू कू नहीं करेगी
पेड़ो की लतिकाओं में
घबराओगे काव काव से
भटकेगा ये मानव मन्न

धरती का ये वसंत वासंती
पेड़ो की ये लतिकायें
नहीं पाओगे गौरी चितवन
नैनो में होगा फीकापन
गावो को मत .....

by Sach